Thursday, 26 March 2020

वाह कोरोना वाह

वाह कोरोना वाह, तूने वो कर दिखाया,
जो कोई और नहीं कर पाया।

रंग-रूप  स्त्री-पुरुष  जाती-भेद  तू कहा है करता,
गरीब अगर है घबराया हैं, तो अमीर भी तो है डरता।

जब-जब पैसेवालों पे बात आयी है,
ज़िन्दगी सस्ती और मौत मेहेंगी पायी है।

पंछि अपने पंखों से नहीं, हवाओं से उड़ रहे है,
रास्ते सासं ले रहे है, और झरने  जुड़ रहे है। 
नहीं कोई प्रदुषण, नहीं गयी दुर्घटना में कोई जान,
महामारी को आना पड़ा, तब जाके चला है ये स्वच्छता अभियान

चिंता उनकी न हो, जिनके पास १ हफ़्तेसे १००₹ है पर बाजार मैं गेहूं नहीं,
चिंतन उनका हो, जिनके पास बरसो से बाज़ार मैं गेहूं थे पर १००₹ नहीं।

कल किसे सुना घर बैठना Bore होने लगा है, मानो किसीने खींचदी हो लक्ष्मण रेशा,
रेशा खींचने क लिए यदि घर ही न हो, जरा सोचो उनकी भी दशा। 

हाथ जोड़े भगवन से सवाल किया, दुनिया बच तो जाएगी ना?
डॉक्टर और पुलिसकर्मिओं से जवाब आया, फिक्र मत करो हम हैं ना।

अपना ख्याल रखना, जब तक के हालात ठीक न हो,
तब-तक हाथ धोके, चिल्लाते रहो 'Go Corona Go'।

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