आज प्रातः काल में जों मिली, वो एक अपेक्षित कहानी थी ,
बारा दिन के मौन के बाद, पाकीस्तान की तेरवी तो मनानीही थी.
इससे पहले भारत करता था बस्स निंदा या कडी निंदा,
अब घरमे घुसकर मारता है, और लौटता है जिंदा.
वो सोचते थे किसीको बेरेहमी से मारकर जन्नत मिलेगी,
हरामजादों को कहा पता था कि आस्मान से जहन्नुम बर्सेगी.
दि होगी इक्कीस तोफो कि सलामी, या नमन करके फुलोंकी आदरांजलि,
पर आज जाकार मिली है ऊन पुलवामा के विरों को असली श्रद्धांजली.
किसीकी जान लेकरं भला किसे खुशी मिलती है,
पर क्या करें, कुत्तो को घी और पाकीस्तान को इज्जत कहा हझम होती हैं
फिक्र इस बात कि है, कि बौखलाकर पाकीस्तान जवाबी हमला ना करदे ,
५६ इंच का सीना अगर बिगड गया, तो पुरे पाकिस्तान कोही नेस्तनाबूत ना कर दे.
इन् बैगरतों को बस्स जैसे-तैसे आजाये होश ,
भाईयों एक बात पुछना भूल हि गया, 'How's The JOSH?'
बारा दिन के मौन के बाद, पाकीस्तान की तेरवी तो मनानीही थी.
इससे पहले भारत करता था बस्स निंदा या कडी निंदा,
अब घरमे घुसकर मारता है, और लौटता है जिंदा.
वो सोचते थे किसीको बेरेहमी से मारकर जन्नत मिलेगी,
हरामजादों को कहा पता था कि आस्मान से जहन्नुम बर्सेगी.
दि होगी इक्कीस तोफो कि सलामी, या नमन करके फुलोंकी आदरांजलि,
पर आज जाकार मिली है ऊन पुलवामा के विरों को असली श्रद्धांजली.
किसीकी जान लेकरं भला किसे खुशी मिलती है,
पर क्या करें, कुत्तो को घी और पाकीस्तान को इज्जत कहा हझम होती हैं
फिक्र इस बात कि है, कि बौखलाकर पाकीस्तान जवाबी हमला ना करदे ,
५६ इंच का सीना अगर बिगड गया, तो पुरे पाकिस्तान कोही नेस्तनाबूत ना कर दे.
इन् बैगरतों को बस्स जैसे-तैसे आजाये होश ,
भाईयों एक बात पुछना भूल हि गया, 'How's The JOSH?'