गणतंत्र दिन परेड |
अफजल गुरु, मसूद अझर, हाफीज सईद
ये नाम सुनके खुन खौला होगा,
इन्हे जिंदा जलादो, यही दिल बोला होगा
सुनके अच्छा लगा के अबभी तुममें दम हैं,
शहीदो केलिए आँसू और मनमें गम हैं
लष्कर ए तोयबा, अल कायदा ये आतंकवादी संघटना,
मगर राजनैतिक पक्ष भी करते है उतनीही हानी और दुर्घटना
इन्सान और हिरन मारने पर कोई करता हैं यहा गुमान,
और हम चिखते हैं, कानून होता हैं सबके लिए समान
तेजाब फेंकनेंसे , बलात्कार करनेसे यहा कोई डरता नहीं,
इन्साफ मांगने जाओ, तो तारिख की सीवा कुछ मिलता नहीं
खून-पसीना एक करकेभी, आत्महत्या कर रहें हैं किसान और जवान ,
फिरभी नेताजी अपने झुठे भाषण मैं बोले, मेरा भारत महान
जनसंख्या वृद्धि की समस्या का हमे नहीं कोई ज्ञान,
आझादीके सत्तर साल बाद भी चला रहे है स्वच्छ भारत अभियान
ठग औरं गुंडे जहाँ शानसे लढतेहो जेल से चुनाव,
ऊस समाजमें जिसे बताना पडता हैं, बेटी बचाव
हर गली नुक्कड़ पे आपको हिन्दू मुस्लिम सिख मिलेगा,
बोहोत ढूँढा पर नजाने ये हिंदुस्तानी कहा मिलेगा
जो मरनेही आया था उस कसाब को मारकर खुश ना होना,
भुलना नहिये हमे मरे हुए बच्चे के माँ का रोना
मेरे भाई एक बात हमेशा याद रखना
सजा ए मौत फाँसी तो दरिंदो के लिए बस एक दौर हैं,
क्योंकी हमारी मातृभूमी में अजमल कसाब कई और हैं
आप सभी को गणतंत्र दिनकी बधाई |
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